गैर नृत्य

गैर नृत्य

होली के चौथे दिन चतुर्थी को ब्रह्मधाम आसोतरा धाम पर भव्य गैर-नृत्य का आयोजन होता है। जिसमें आस-पास व दूर-दराज से प्रसिद्ध गैर दल भाग लेने के लिए यहां आते है ढोल, थाली, नगाड़े के साथ आंगी या अन्य वेशभूषा में अलग-अलग गांव की गैर का नृत्य होता है। यह अति सुन्दर नजारा सुबह से शुरू होकर शाम तक चलता रहता है। इस अवसर पर सत गुरुदेव पूज्य श्री तुलछारामजी महाराज के सम्मुख स्टेज पर बारी-बारी से हर गांव गैर-दल नृत्य करते है।
हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक गैर-दल जब नाचते है और गुरूमहाराज घूमते हुए इसका अवलोकन करते है वो भी हाथ में छड़ी लेकर बाल मन की तरह प्रसन्नचित्त होकर उनके साथ नृत्य करने लग जाते है यह दृश्य देखकर समस्त गैरिये एवं दर्शक प्रसन्नचित्त हो जाते है। इस अवसर पर पूरे दिन मेले का माहौल रहता है इसमें भाग लेने वाले बड़े, बुजुर्ग, बच्चें, मातायें, बहनें सभी के मन में हर्ष और उल्लास रहता है। यह गैर मेला छतीस कौम में आपसी भाईचारा एवम् सद्भाव का प्रतीक है सन्ध्या के समय मेले का विर्चजन होता है जिसमें गुरुमहाराज अपने हाथों से भक्त-भाविकों एवं नृतकों को प्रसाद वितरण कर आशीर्वाद देते है और खुशी और आन्नद भाव के साथ मेले का समापन होता है।

जुंझाणी नाडी में भी एक दिवसीय गैर मेले का आयोजन होता है जिसमें गांवों से गैर दल भाग लेने के लिए आते हैं। गुरुमहाराज इन्हें आशीर्वाद व प्रसाद भेंट देते है।

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