वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम जी महाराज

श्री वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम जी महाराज

ॐ गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।

गुरु: साक्षात्पर ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:॥

साधू – संत चलते फिरते तीर्थ हैं, उनके दर्शन और अमृत वाणी से जीवन धन्य, पवित्र और उर्ध्वगामी होता है। ब्रह्मर्षि श्री खेतेश्वर भगवान ने श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ में जगतपिता श्री ब्रह्माजी भगवान के मंदिर की स्थापना करके हम सभी को परम पवित्र स्थान प्रदान किया है। पुरे समाज के लिए कुलगुरु भगवान ने आसन प्रदान किया।

ब्रह्मकुलगुरु के उपासक, तपस्या की साक्षात् प्रतिमूर्ति ब्रह्मर्षि ब्रह्माचार्य अनंत श्री विभूषित ब्रह्मसावित्री सिद्ध पीठाधीश्वर श्री श्री तुलछाराम जी महाराज ने पवित्रतम तीर्थ यात्राओं के द्वारा समाज को भक्तिभाव से परिपूर्ण करते हुए अनेकानेक कुरीतियों को मिटाकर ब्राह्मणत्व का बोध कराया। वर्तमान समय में सद्गुरुदेव के कुशल निर्देशन में हमारा समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है।

ब्रह्मकुलगुरु की दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण श्री सद्गुरुदेव श्री तुलछाराम जी महाराज जी के शिष्य ब्रह्मचारी वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाराम जी महाराज शिष्य परंपरा में ब्रह्मधाम तीर्थ की तीसरी पीढ़ी है।

वेदांताचार्य डॉ. ध्यानारामजी का जन्म ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी, विक्रम संवत 2029 वार गुरुवार को जोधपुर जिले की फलौदी तहसील के बावड़ी पुरोहितान गाँव में श्रीमान् बाबूसिंह जी एवं श्रीमती सीता देवी जी के घर हुआ। आपकी प्राथमिक शिक्षा जेमला गाँव में व उच्च प्राथमिक शिक्षा शेखासर गाँव में संपन्न हुई। सन् 1992 में आपको सद्गुरुदेव श्री श्री तुलछाराम जी महाराज के श्री चरणों का आश्रय मिला। 5 वर्ष तक गुरु प्याऊ झुझाणी नाडी में रहकर साधना की।

सन् 1997 में गुरुदेव की आज्ञा से श्री वृंदावनधाम में 2 वर्ष तक संस्कृत व्याकरण की शिक्षा ग्रहण की। सन् 1999 में विद्या की नगरी आनंददायिनी काशी में डॉ. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। 13 वर्षों तक साधनामय दिनचर्या के साथ-साथ वेद वेदांग की अध्यात्म शिक्षा प्राप्त की।

आपने अपनी अलौकिक साधना शक्ति से वेदांत का अध्ययन करते हुए आचार्य कक्षा में संपूर्ण विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान पर रहकर अलग-अलग विभागों में 8 स्वर्ण पदक प्राप्त करके राजपुरोहित समाज का गौरव काशी की पण्डित परंपरा में स्थापित किया।

आपने वेद अध्ययन के साथ-साथ देश विदेश की यात्राओं के साथ विश्व के 35 ब्रह्माजी के मंदिरों पर शोध कार्य करके अपने जीवन को अलौकिक बनाया। आपने विद्या वारिधी (पी.एच.डी.) की उपाधी ‘वेद और पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी का स्वरूप विचार और उपासना विचार’ विषय पर प्राप्त की।

सन् 2012 में परम पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में संपूर्ण भारत वर्ष के 51 विद्वान पंडितों के द्वारा हरिद्वार में माँ गंगा के तट पर आपका पटाभिषेक हुआ। सन् 2012 से आप सतत् समाज के लिए कार्य कर रहें हैं। आपने वृहद् स्तर पर अभियान चलाकर समाज को व्यसन मुक्त किया। आपके द्वारा सतगुरुदेव के आशीर्वाद से ‘अखिलविश्व राजपुरोहित खेतेश्वर युवा सेवा संघ’ संत श्री संस्थान नाम से एक संगठन खड़ा किया।

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