Shree Shiv Dhuna

शिवधुणा

शिवधुणा ब्रह्माजी मंदिर से पहले 1962 से ही अस्तित्व में है जिसमें भक्त-भाविक गोला हवन करते है और परिक्रमा लगाते है। खेतारामजी महाराज को जो तप विधान था वो इसी स्थान पर बैठकर ध्यान लगाते थे तथा साधना करते थे। खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने बाद उनकी चरण पादुका भी इसी धूंणे में रखी गयी जिसकी पूजा होती है। शिवधूंणा में शिवलिंग स्थापित है। शिवधूंणा में प्रवेश करते समय पूर्ण शुद्धता व स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। बरसी समारोह व मुख्य आयोजन एवं पूर्णिमा पर जब गोटा हवन बड़ी मात्रा में होता है तो शिवधूंणा की सुरक्षा के लिए छत पर बड़ा सा रोशनदान बनाया हुआ है।