बरसी महोत्सव
बरसी महोत्सव – बरसी पर ब्रह्मधाम से वैकुंटधाम तक गुरूमहाराज द्वारा रथयात्रा निकाली जाती है तथा कन्याओं द्वारा जलयात्रा निकाली जाती है। बरसी महोत्सव की तैयारियां कई दिन पहले शुरू हो जाती है पंचम व षष्ठी से पहले ही विश्वशांति यज्ञ शुरू हो जाता है ब्रह्माजी की प्रतिष्ठा का मुहुर्त के समय विशेष पूजा अर्चना व आरती होती है लेकिन ब्रह्माजी को गर्भ गृह में प्रतिष्ठापित किया था उसम समय ध्वजारोहण भी होता है तथा पास लक्ष्मीनारायण मंदिर व शिव मंदिर पर भी ध्वजारोहण होता है खेतारामजी के वैंकुण्टधाम का भी ध्वजारोहण होता है। बरसी महोत्सव को शाम को पाण्डाल में श्री गुरूमहाराज जी ट्रस्टीगण, समाज वरिष्ठगण व तमाम भक्त भाविकगण की उपस्थिति में श्री खेतेश्वर प्रतिभा सम्मान समारोह का कार्यक्रम आयोजित होता है। जिसमें बोर्ड व यूनिवरसिटी में प्रोफेशनल एकाडमिक व प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्ट परिणाम रहा है उनको गोल्ड मेडल सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया जाता है। तथा शाम को बोलियां शुरू हो जाती है तथा कुछ बोलियां लम्बित रखी जाती है जिसको दूसरे दिन फाईनल किया जाता है। दूसरे दिन पाण्डाल में जितने भी लोग उपस्थित होते है उनमें से कुछ विशिष्ट वक्ताओं का उद्बोधन होता है तथा ज्यों ही दिन में 12 बजकर 36 मिनट का समय हो जाता है तो उससे पूर्व सूचना दी जाती है कि जो जहां खड़ा है वो घोषणा होने पर वैकुण्टधाम की तरफ मुख करके यथासंभव हाथों में पुष्प रखकर खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने का जो समय आता है उस समय मंत्रोच्चारण होता है सभी लोग खड़े होकर वैंकुण्ट धाम की तरफ मुंह करके वो खेतेश्वर दाता को पुष्पाजंलि अर्पित करते है तथा खेतेश्वर दाता की पुण्यतिथि पर उनका स्मरण किया जाता है बरसी के दूसरे दिन तमाम संत-महात्माओं को सम्मान व गुरू दक्षिणा दी जाती है।