खेतेश्वर जन्मोत्सव
खेतेश्वर का जन्म वैशाख शुक्ली पंचमी को आता है लेकिन उसी समय बरसी के महोत्सव को भी आयोजन होता है। तो समाज के शेष क्षेत्रों के जितने भी धर्मप्रेमी जो बन्धु है उत्सवों पर जो शोभायात्रा निकालकर उनको आयोजन के रूप में मनाते है। उनके लिए जो अंग्रेजी तारीख तय की गयी जो 22 अप्रेल थी तो 22 अप्रेल को तय करना इसलिए जरूरी हो गया कि 22 अप्रेल को भी जन्मोत्सव मनाया जायें और वैशाख शुक्ल पंचमी को भी जन्मोत्सव मनाया जायें। वैसे विक्रम सवंत् वेशाख शुल्क पंचमी था लेकिन पाली इसकी शोभायात्रा की शुरूआत की गयी तो इधर बरसी भी और शोभायात्रा भी तो ठीक नहीं था तो उनको सुविधा के लिए अंग्रेजी तारीख तय की गयी जिसमें गुरूमहाराज जी भी पधारें और उस रैली की शोभायात्रा में भी शामिल हों और गुरूमहाराज खेतेश्वर दाता की जयंति भी हर्षोल्लास के साथ मनाई जायें। इसी तरह पहले पाली में शुरूआत और बाद में जोधपुर में भी शुरूआत हुयी। अब जगह-जगह रैली व शोभायात्रा आयोजित की जाती है। 22 अप्रेल इसलिए तय करना पड़ा क्योंकि वास्तविक जो तिथि है वो वैशाख सुदी पंचमी को ही आती है इसलिए उन्हें तारीख दी गयी।
22 अप्रेल को आसोतरा धाम पर कोई आयोजन नहीं होता है आसोतरा धाम पर आयोजन तो विक्रम संवत् वैशाख शुक्ल पंचमी को होता है। उस समय खेतेश्वर दाता की विशेष पूजा अर्चना होती है। बरसी महोत्सव होता है इसके दूसरे दिन जो पूण्य तिथि के रूप में श्री खेतेश्वरदाता का स्मरण किया जाता है उस दिन तमाम जो पाण्डाल में भक्त भाविक होते है वो वैंकुटधाम की तरफ मुख करके पुष्पाजंलि देते है इस तरह खेतेश्वर दाता की पूण्य तिथि मनाई जाती है।