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राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोतरा उपखण्ड मुख्यालय से 11 किमी दूर जालोर रोड़ पर स्थित श्री खेतेश्वर ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा स्थित है। यहां विश्व का द्वितीय सबसे बड़ा ब्रह्माजी का मंदिर स्थित है। जबकि ब्रह्माजी के संग सावित्री जी प्रतिष्ठित है इस दृष्टि से यह विश्व का अद्वितीय मंदिर हैं ।

             इस मंदिर का शिलान्यास परम् आराध्य संत श्री खेतारामजी महाराज के कर-कमलों द्वारा  20 अप्रेल 1961 को हुआ। लगातार 24 वर्षो तक निर्माण कार्य जारी रहा । इस अवधि में संत खेतारामजी महाराज ने गांव-गांव, ढाणी-ढाणी, विभिन्न प्रदेशों में प्रवास करके केवल राजपुरोहित समाज से ही अर्थ संग्रह किया और उस निधि को मंदिर निर्माण में लगाया।

          ब्रह्माजी के मंदिर का कार्य पूर्ण होने पर दिनांक 6 मई 1984 को मंदिर गर्भगृह में ब्रह्माजी को सावित्रीजी के साथ बिराजित कर प्राण प्रतिष्ठा की। लाखों धर्मप्रेमी बन्धुओं की साक्षी में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से भगवान ब्रह्माजी युगल रूप में स्थापित हुए।

              मंदिर के प्रवेश पर दोनों तरफ गजराज है जिन पर इन्द्र और कुबेर अपने-अपने सारथियों के साथ बिराजित है। मंदिर के अंदर चारों ओर अष्टऋषियों की प्रतिमाएं भी है जो राजपुरोहित समाज के विभिन्न गोत्रों के प्रवर्तक है। मंदिर में प्रवेश करते ही बायें से क्रमश:

           1.ब्रह्मर्षि उद्दालक 2. वशिष्ठ 3.कश्यप 4.परासर 5. गौतम 6.पिपलाद 7.शांडिल्य 8.भरद्वाज ऋषिगणों की प्रतिमाएं है।

अन्दर सतम्भों एवं गुम्बद के अन्दर विभिन्न देवी-देवताओं, यक्ष, गन्धर्वों की प्रतिमाएं एवं कृष्ण संग गोपिकाओं की रासलीला के दृष्य प्रतिमाएं है। ब्रह्माजी की प्रतिमा के सन्मुख कश्यप (कछुआ महाराज) की प्रतिमा है। गर्भगृह के प्रवेश पर दायें एवं बायें चारों ब्रह्मर्षि सनकादि ऋषि- सनक, सनंदन, सनातन, सनतकुमार की प्रतिमाएं है एवं ऊपर की ओर हंस प्रतिमा है। ब्रह्माजी के मंदिर में एवं बैकुण्ठ धाम पर प्रतिदिन निम्न समय-सारणी के अनुरूप आरतियां होती है।

क्रसं नाम आरती समय – शीतकाल समय – ग्रीष्मकाल
मंगला आरती प्रातः 7 बजे प्रातः 6 बजे
शृंगार आरती प्रातः 9 बजे प्रातः 8 बजे
3 भोग आरती प्रातः 10 बजे प्रातः 10 बजे
4 संध्या आरती सायं 7 बजे सायं 8 बजे
5 शयन आरती रात्रि 9 बजे रात्रि 10 बजे
आरतियां समय-सारणी

आरती का समय बैकुण्ठ धाम पर परम्गुरुदेव खेतेश्वर दाता की आधा घण्टा पूर्व में होती है। केवल भोग आरती दोनों जगह एक साथ होती है ।

ब्रह्माजी के मंदिर के पास स्थित शिवधूणा एवं बैकुण्ठधाम परिसर स्थित शिवधूणा दोनों जगह  दिन में दो बार आरती होती है। पहली बार प्रतिदिन मंगला आरती से पूर्व आधा घंटा एवं अंतिम संध्या आरती से पूर्व आधा घंटा होती है। धाम परिसर में एक रामदेवजी का मंदिर भी है। जिसके पास एक गौशाला भी स्थित है। स्वयं संत खेतारामजी महाराज के अथक प्रयासों से निर्मित एक ब्रह्म सरोवर भी है। ब्रह्म सरोवर की पुण्य धरा पर ही सन् 2012 में शतकुण्डिय यज्ञ हुआ था। एवं सद्गुरुदेव तुलछारामजी महाराज ने चातुर्मास तपसाधना भी की है।

                सरोवर के पास एक विशाल कबूतरों का चबूतरा भी है जहां प्रतिदिन सैकड़ों कबूतरों को चुग्गा दिया जाता है। धाम पर एक विशाल भोजन-शाला है जहां समाज के लिए निःशुल्क भोजन व्यवस्था संचालित है।

धाम पर यूं तो प्रति पूर्णिमा मेले का आयोजन होता है जिस दिन देश-प्रदेश से कई भाविक जन धाम आते है । शिव-धूंणा पर गोटा हवन करते है। धोक लगाते है। कई गांवों के युवा कार्यकर्ता पूर्णिमा पर सेवाएं देनें के लिए संघ बनाकर धाम आते है।

              प्रतिवर्ष बरसी महोत्सव एवं खेतश्वर दाता की पुण्यतिथि का आयोजन होता है जो वर्ष भर का सबसे बड़ा आयोजन होता है। उसके बाद श्रीकृष्णजन्माष्टमी पर्व, महाशिवरात्री पर्व, गुरूपूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा आदि पर विशेष आयोजन होता है।

              प्रतिवर्ष दिसम्बर माह में गुरूमहाराज के आशीर्वाद से नैत्र चिकित्सा शिविर का आयोजन होता है। जिसमें पात्र व्यक्ति का निःशुल्क ईलाज होता है एवं चश्मे वितरित किये जाते है।

शिविर के समापन पर एक विशाल प्रेम सभा का आयोजन होता है। जिसमें मेथी के लड्डू बांटे जाते है जो कि गुरूमहाराज के आशीर्वाद से आरोग्य लाभ की कामना से सेवन किया जाता है।

              2012 से पूज्य वेदांताचार्य डॉ. श्री ध्यानारामजी महाराज ने काशी से अपनी शिक्षा पूर्ण कर धाम पधारे और तब से सम्पूर्ण समाज को जाग्रत करने, नशा-मुक्त करने, युवाओं में शिक्षा और संस्कार प्रवाहित करने, एक संगठित समाज की संरचना करने के उद्देश्य से समाज के विभिन्न व्यावसायिक संवर्गो के बन्धु/भगिनियों के सम्मेलन आयोजित कर उन्हें सामाजिक दायित्व बोध प्रदान किया जा रहा है।

                धाम का सम्पूर्ण व्यवस्थापन श्री ब्रह्माजी का मंदिर एवं राजपुरोहित समाज विकास न्यास द्वारा संचालित है। न्यास में वर्तमान में 51 सदस्य है जिसमें गादीपति पदेन अध्यक्ष होते है।

अखिल भारतीय राजपुरोहित समाज विकास संस्थान, ब्रह्मधाम आसोतरा का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारतवर्ष है। हरिद्वार भवन का पुनरोद्धार एवं अनुरक्षण इसी संस्थान के माध्यम से किया जाता है।

अखिल विश्व राजपुरोहित खेतश्वर युवा सेवा संघ (संत श्री संस्थान) का कार्यक्षेत्र भी सम्पूर्ण भारत वर्ष है लेकिन यह संस्थान केवल शिक्षा और संस्कार के लिए ही समर्पित है। संत  खेतारामजी महाराज 7 मई 1984 को ब्रह्मलीन हुए। उनकी पार्थिव देह को चंदन की लकड़ी एवं गोटा नारियल की अग्नि में समर्पित किया और पार्थिव देह पंच महाभूतों में विलिन हुई। उस स्थान पर समाधि स्थल बनाया गया जिसके ऊपर एक विशाल एवं भव्य बैकुण्ठधाम मंदिर सफेद संगमरमर पत्थर से  निर्मित हुआ। बैकुण्ठ धाम में संत खेतारामजी महाराज की प्रतिमा स्थापित है जहां प्रतिदिन 5 बार आरती की जाती है।

 

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