वैकुंठ धाम में एक अश्वशाला थी जिसमें श्री खेतारामजी महाराज के समय से ही मुकुन्द घोड़े को उसमें बांधा जाता था पहले यह जो खेतेश्वर दाता की कार रखी गयी है वहां पर अश्वशाला होती थी मंदिर निर्माण कार्यं के बाद मंदिर के बायीं तरफ कोर्नर में घोडों को बांधने, चरने व पानी पीने की व्यवस्था की गयी है। वर्तमान में तुलछारामजी महाराज के दो घोड़े है जिसका नाम प्रेम और वेद है यह घुड़सवारी से लेकर हर प्रकार की कला में निपुण और प्रारंगत है।