भोजनशाला
खेतेश्वर दाता की तपस्या और उपदेशों के अनुकुल भोजनशाला सुचारू और निःशुल्क है। निःशुल्क भोजनशाला का प्रारंभ ब्रह्माजी मन्दिर शिवधुणा के पीछे भोजनशाला हुआ करता था। धीरे-धीरे भक्त भाविकों की संख्या बढ़ती गयी तो ब्रह्माजी मंदिर के पास सटी हुयी मठ हुआ करता था वहां भोजन शाला शुरू की गयी। उस समय शुद्ध घी को टांके में स्टोर करके रखा जाता था तथा बड़े गोबर गैस प्लान्ट से खाना पकाया जाता था। भक्त भाविकों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए उसके पास टिन शेड वाली भोजनशाला शुरू की गयी जिसमें सुव्यस्थित पुरस्कारी व्यवस्था, बर्तन धोने, भोजन पकाने की समस्त की प्रकार की व्यस्था थी। जिसमें स्त्री, पुरूष अलग-अलग भोजनशालायें है।
वर्तमान में पीछले चार-पांच वर्ष से एक अत्याधुनिक विशाल भोजनशाला का निर्माण किया गया है। जो पूर्ण सुविधाजनक नक्शे से बनाया गया है जिसमें पूरा कांकरीट से बनाया गया है इसमें हाथ धोने, पुरस्कारी करने, उपवास हेतु अलग व्यवस्था व खुली हवादार है। जहां पर हर पूर्णिमा व बड़े-बड़े कार्यक्रम होने पर भोजन की व्यवस्था रखी जाती है। बरसी महोत्सव पर भोजनशाला के लिए अग्रिम बोलियां ली जाती है। बोली लगाने वाले लाभार्थीं परिवार का हर पूर्णिमा व अन्य अवसर पर बाहर बड़ा बेनर लगता है। बरसी महोत्सव, हर पूर्णिमा व अन्य बड़े कार्यक्रम में राजपुरोहित समाज के गांवों द्वारा भोजनाशाला में पुरूस्कारी व मन्दिर परिसर व आस-पास की साफ-सफाई हेतु हर गांव सेवा देता है जिसमें 200 से 300 लोग मिलकर इस सेवा का लाभ लेते है व सेवा देने वालों को गुरूमहाराज अपने हाथों प्रसाद वितरित कर अपने श्रीमुख से खुशहाली की कामना करते है व सेवाभावियों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाते हैं।