पर्यावरण
पर्यावरण – वेंकुटधाम रोड़ के दोनों किनारों पर अति विशिष्ट किस्म के पेड़-पौधों को लगाया गया है। वेंकुटधाम में अत्याधुनिक पहाड़ी व अति विशिष्ट किस्म के पेड़-पौधों को लगाया जाना बहुत ही शुभ है। वेंकुटधाम में अति सुन्दर बगीचों को लगाया गया है। जिसमें कल्पवृक्ष (देव वृक्ष), मखनकटौरा, पारीजात, कदम्ब, बरगद, पीपल, नारीयल, खजुर, शिवजट्टा, बोटल पंप, फाइक्स, फाइक्स पांडा, हेज, बील्लीपत्र, तुलसी, रातराणि, रायण, बादाम, रंगोली बादाम, आम, केला, जामुन, चिक्कु, अमरूद, अंजीर, सिताफल व अन्य कई प्रकार के पौधे लगाये गये है तथा उद्यान में एक कुण्ड भी इसमें सफेद कमल (सुबह में खिलता है), पिला कमल (दोपहर में खिलता है) व लाल कमल (शाम को खिलता है) के पौधे लगाये हुये है। इस आकर्षित व अति सुन्दर उद्यान में लगभग 10 प्रकार के गुलाब के फुलों के पौधें लगाये हुये है ब्रह्माजी और खेतेश्वर दाता की पूजा के निमित गुलाब के फुलों व मालाओं को बाहर से मंगवाया जाता था लेकिन अब ब्रह्मधाम पर ही इन पुष्पों की व्यवस्था होने लगी है जिससे अर्थ की बचत भी होने लगी है तथा देखने वालों को भी अच्छा लगता है व तमाम नई किस्म क्वालिटी के पौधे लगाये गये है |
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सन् 2012 में खेतेश्वर दाता के जन्म कल्याणक महोत्सव शताब्दी के उपलक्ष में सतकुण्डिये यज्ञ हुआ था और प्रतिवर्ष खड़ी परिक्रमा कार्तिक मास में गायत्री यज्ञ इस उद्देश्य से किया जाता है कि पर्यावरण शुद्ध हो।
पर्यावरण संरक्षक हेतु इस तरह हवन यज्ञ भी हमारी संस्कृति में होते है। तथा वो अनवरत ब्रह्मधाम पर जारी है। गुरूमहाराज की आशीर्वाद से धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए कांशी से पंडित आते है तथा खड़ी परिक्रमा कर गायत्री का यज्ञ का जप किया जाता है।