ब्रह्माजी के मन्दिर परिसर में ही लक्ष्मीनारायण मंदिर के पास शिव मंदिर स्थित है जिसका निर्माण श्री खेतारामजी महाराज के द्वारा ही ब्रह्म मंदिर के साथ करवाया गया। शिव, पार्वती, गजानन्दजी, नन्दी, शिवलिंग पूरे शिव परिवार की प्रतिदिन पूजा होती है। शिव मंदिर में परिक्रमा पूर्ण नहीं लगायी जाती है केवल 3/4 चैथाई परिक्रमा ही लगाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि शिव की जटा से जो गंगधारा निकलती है उस बहती हुई गंगधारा को लांगना वर्जित है इसलिये तीन चैथाई परिक्रमा के बाद वापस लौटा जाता है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश ये तीनों ही सृष्टि के रचयिता, पालनहार एवं संहारक माने जाते है। शिव आदि-अनादि देव माना जाता है इसलिए तप निष्ठा शिवधूंणा से शुरू होती है।