श्री खेतारामजी महाराज के ब्रह्मलीन होने (वि.स. 2041 वैशाख शुक्ला – षष्ठी सोमवार दि. 7 मई 1984 समय 12.36 दोपहर) केे बाद ही वि.सं. 2042 वैशाख सुदी नवमी सोमवार दिनांक 16 मई 1994 को वैकुण्टधाम की नींव रखी गयी थी तथा श्री खेतेश्वर ‘‘वैकुण्टधाम मन्दिर’’ की प्राण प्रतिष्ठा वि.सं. 2050 वैशाख शुक्ला षष्ठी सोमवार दिनांक 16 मई 1994 को की गयी। मन्दिर के अन्दर ही खेतेश्वर दाता की अखण्ड ज्योति मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से ही लगातार प्रजवलित है। जो अन्य भक्त भाविकों के लिए कपाट बंद ही रहता है बाहर कपाट के अन्दर से अखण्ड ज्योति और श्री खेतेश्वर दाता के दर्शन हो जाते है। मंदिर के पीछे सटा हुआ धूंणा भी है जिसमें गोटा हवन किया जाता है तथा सुबह-शाम आरती भी होती है। धुणा के पास ही खेतारामजी महाराज की जो कार हुआ करती थी जिससे दूर-दराज खेतेश्वर दाता का आना-जाना होता था। वो भी दर्शनीय है।